जिन्दगी ही जिन्दगी को जीना सीखा देती है...
गम के आँसुओँ को इश्क का नगीना बना देती है...
और गम के दाग दिल पर गहरे हो जाये....
तो यह बेईमान हमेँ पीना सीखा देती हैँ...
हमेँ भुला दिया उन्होँने...
वो अब किसी और को क्या भुलायेँगी...
तो वादा है हमारा भी...
हमारी यादे उन्हे भी तनहाईयोँ मेँ रूलायेगी...
सुबह हो गयी!!!....जिस देश का प्रधानमंत्री इस बात से अनजान है कि देश मेँ क्या हो रहा है तो हम मासूमोँ को क्या खबर!!!
-ठाकुर दीपक सिँह कवि
सुबह हो गयी....खुद को सही सलामत देख कर खुशी भी हो रही है और आश्चर्य भी...यह मेरे साथ ही नहीँ बल्कि उन सबके लिए एक जीवनदान है जो मौजूदा हालात मेँ हिन्दुस्तान का अखण्ड हिस्सा है...भगवान भी नहीँ बता सकते कि कल की सुबह क्या होगीँ...ऐसे भ्रष्ट नेताओँ,सरकार एवं सामाजिक लोगोँ के बीच हम सुरक्षित रहे तो कैसे रहे..
"कितने नादान थे हम...
हमसे किसी को भुलाया नहीँ गया....
ज्यादती तो तब लगी...
जब खुद की मौत के जनाजे मेँ...
हमे बुलाया नहीँ गया..."
-ठाकुर दीपक सिँह कवि
हमसे किसी को भुलाया नहीँ गया....
ज्यादती तो तब लगी...
जब खुद की मौत के जनाजे मेँ...
हमे बुलाया नहीँ गया..."
-ठाकुर दीपक सिँह कवि